वन्देमातरम बोलने पर मुसलमानों को आपत्ति क्यूँ ???

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मुसलमानों के वंदेमातरम् गानें से बचनें के पीछे उनका धार्मिक कारण है इस गीत के शब्द और उनसे न्कलनें वाले अर्थ वंदेमातरम का अर्थ होता है
”में मातृभूमि की पूजा करता हुं…”’ वंदे शब्द वंदना का क्रिया रूप है और इस शब्द के दूसरे अर्थ हैं नमन/स्तुति/प्रर्थना करना…तो जहां माँ को पूूजनें की बात है तो वहीं मुस्लिम होनें की पहली शर्त ही यही है कि व्यक्ति अल्लाह/ईश्वर को वचन दे कि ”’एक अल्लाह/ईश्वर के सिवा कोई पूजा के योग्य नहीं…ऐसे में वंदेमातरम जैसे शब्द बोलना अल्लाह को दिये वचन का विरोध करना होगा…नमन करना यानि झुकना और सजदा करना सिर्फ अल्लाह/ईश्वर के लिये है…

बहुत से लोग तर्क देते हैं कि वंदना का अर्थ तो प्रशंसा करना होता है नाकि पूजा करना इसलिये मुसलमानों का विरोध करना निराधार है ….अब अगर इस ही तर्क को देंखे तो उनका तर्क स्वंय दूसरे तर्क से निरस्त हो जाता है वह कैसे ..वह ऐसे कि वंदना का अर्थ केवल प्रशंसा नहीं बल्कि ईश प्रशंसा होता है ख़ुद सोचिये क्या कभी किसी नें मोदी वंदना /आडवाणी वंदना/राजीव गांधी वंदना जैसे शब्द सुनें हैं यक़ीनन नहीं सुने होंगे….. जबकि हम सब नें सिर्फ सरस्वती वंदना/गणेश वंदना जैसे शब्द सुने हैं यानि वंदना देवी देवताओं के लिये रचे गये प्रशंसा गीत होते हैं वंदना जैसे शब्द इंसानों के लिये प्रयोग नहीं किये जाते ..जबकि इस्लाम में इस प्रकार की प्रशंसा का अधिकार केवल एक अल्लाह/ईश्वर का है…क़ुरआन का पहला ही वाक्य इसकी व्याख्या देता है ”अल्हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन”'(सब तारीफे अल्लाह/ईश्वर के लिये हैं)


वंदेमातरम गीत जिस उपन्यास आनंद मठ के लिये लिखा गया है उसमें बताया गया है कि वंदेमातरम जिस देवी की वंदना है वह देवी भगवान विष्णु जी की गोद में विराजमान है इस देवी का आकार प्रकार बाकी हिन्दू देवियों के समान है इस देवी का नाम भारत माता है और यह हिन्दू देवी दुर्गा सरस्वती जी का ही रूप है —
””त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी कमला कमलदल विहारिणी वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम् ””
इस तरह की देवी देवताओं की स्तुति करनें के लिये मुसलमानों पर दवाब डालना पूरी तरह मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों का हनन है ..किसी की धार्मिक भावनाए आहात ना हो उसका सम्मान किया जाना चाहिए …मतलब यह हुआ कि कुल मिलाकर वंदेमातरम एक धार्मिक गीत है
तर्क मुझे यह समझ नहीं आता कि जिस गीत से मुसलमानों के देश प्रेम को आंका जाता है उस गीत में कहीं भी भारत/इंडिया जैसे शब्द नहीं फिर उस गीत से यह कैसे मान लिया जाये कि उस गीत गानें से हमारे देश का गुणगान/महिमामंडन हो या देश प्रेम झलकेगा ….


अब अगर वंदेमातरम को देशप्रेम से ही जोड़ दिया जाये तो भाई धरती माता क्या सिर्फ भारत तक ही सीमित है ? क्या दूसरे देशों की ज़मीन धरती माता नहीं ??.या सौतेली है??… उस हिसाब से तो हमें उन देशों से भी प्रेम होना चाहिये उनका भी गुणगान करना चाहिये क्योंकि अगर धरती माता समान है तो वह किसी सरहद में कैसे कैद की जा सकती है संपूर्ण प्रथ्वी की हमारी माता कही जायेगी..

लेखन : फ़ारूक़ खान

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