इस्लाम एक शांति प्रिय धर्म है तो फिर इतिहास के पन्नो से लेकर अब तक मुसलमानो ने ही सबसे ज्यादा मुसलमानों का खून क्यों बहाया है?

  • Post author:
  • Post category:Uncategorized
  • Post comments:0 Comments

धर्म तो सब ही शांति प्रिय होते हैं, वो कौनसा धर्म है जो शांति नहीं चाहता या शांति का सन्देश नहीं देता ? अगर कोई धर्म हिंसा और अशांति की शिक्षा देगा तो वो धर्म जन्म लेते ही मर जाएगा क्यों कि लोग उसे स्वीकारेंगे ही नहीं. धर्म का कम् ही इंसान नामी इस जानवर को इंसान बनाना है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि धर्म ज़बरदस्ती लोगों के नेक बना देता है. खुदा ने जिस स्कीम के तहत इस दुनिया को बनाया है उसमे खुदा ने इंसान को अच्छे बुरे कर्म करने के लिए आज़ाद छोड़ रखा है. तो जिसका जी चाहे अच्छा करे जिसका जी चाहे बुरा करे. तो किसी के बुरा होने के लिए धर्म जुम्मेदार नहीं होता, धर्म तो हमेशा अच्छी बाते ही सिखाता है, ये तो लोग हैं जो असल धर्म को छोड़ कर अपनी मन मानी करने लगते हैं.


ऐसा भी नहीं है कि दुनियां में सिर्फ मुसलमानों में ही खून खराबा हुआ है बाकि सब शांत बैठे रहते हैं. दुनियां का इतिहास देखेंगे तो पता चलेगा कि मुसलमान तो इस लिस्ट में फिर भी बहुत नीचे हैं.
महाभारत का युद्ध अगर वो सच था तो उसे देख लीजये, कहा जाता है उसमे लगभग 40 लाख लोग मारे गए थे. उसके बाद भारत में उँगलियों पर गिने जाने लायक ही मर्द बचे थे.
राम जी और रावण का युद्ध बताया जाता है कि रावण की तरफ से उसमे कई करोड़ लोग थे.
कथाओं को छोड़ कर इतिहास की बात करें तो अशोक ने अपने 99 भाइयों को मार कर पूरे देश में दूसरे राज्यों को जीतने में जो खून खराबा किया था उसे तो आपने पढ़ा ही होगा. अकेले कलिंग में ही एक लाख लोग मारे गए थे.


फिर आगे चल कर अशोक के पौत्र और अंतिम मौर्य राजा की हत्या करने वाले ने गद्दी संभाली और बोद्ध भिक्षुओं का क़त्ल शुरू कर दिया.
अगर निष्पक्ष और ईमानदारी से इतिहास पढ़ें (जो एक मुश्किल काम है लेकिन नेक इंसानों के लिए नहीं) तो मुग़ल काल से पहले भारत खुद बहुत सारी छोटी छोटी रियासतों में बटा हुआ था, वे आपस में हमेशा लड़ते ही रहते थे लड़ लड़ कर कमज़ोर हो चुके थे इसी वजह से मुग़ल यहाँ जंगे जीत पाए.
ईसाईयों का इतिहास पढ़ें तो वहां भी यही हाल था. उनकी सारी आपसी लड़ाइयों को लिखना तो मेरे लिए मुमकिन नहीं लेकिन सिर्फ एक का ज़िक्र करदूं. सतरहवीं सदी में रोमन साम्राज्य में केथोलिक और प्रोटेस्टेंट सम्प्रदाय में लड़ाई हुई जो 30 साल लम्बी चली. अनुमान लगाया जाता है कि उसमे 90 लाख तक लोग मारे गए थे.
तो ये लड़ाई झगड़े सिर्फ मुसलमानों के साथ ही नही हैं बल्कि सब बड़े धर्म वालों का इतिहास में यही हाल है. और इसमें धर्म वालों की ही बात नहीं है बल्कि दुनियां में मार्क्सवादियों को भी जब पॉवर मिली तो कई जगह उन्होंने भी अपनी जनता पर बहुत ज़ुल्म किये हैं. मानव अधिकारों को भी उन्होंने पैरों से रोंद डाला.
लेकिन आप के सवाल से लगता है शायद आपने सिर्फ मुस्लिम राजाओं का ही इतिहास पढ़ा है नहीं तो आप ये एतराज़ नहीं करते.
देखये धर्म कोई भी हो हमेशा नेतिकता ही सिखाता है ये बात अलग है कि लोग धर्म का गलत इस्तिमाल करते रहते हैं. कोई धर्म किसी पर ज़ुल्म करने को नहीं कहता और ना कह सकता है. लेकिन अच्छे बुरे लोग हर धर्म में होते हैं.
कुरआन में भी किसी पर ज़ुल्म करने को बहुत बड़ा गुनाह बताया गया है.
मैं कुरआन से दो चार मिसालें लिख कर अपनी बात ख़त्म कर देता हूँ.
कुरआन में लिख है – धरती में फसाद फैलाना ना चाहो, यकीन मानो अल्लाह फसाद फैलाने वालों को पसंद नहीं करता. (सूरेह कसस 77)
जो लोग गुस्से को पी जाते हैं और लोगों की खताएं माफ़ कर देते हैं, अल्लाह ऐसे नेक लोगों से मुहब्बत करता है. (सूरेह आले इमरान 134)
अगर तुम्हे किसी से बदला ही लेना है तो सिर्फ इतना ही बदला लो जितना तुम पर ज़ुल्म किया गया है और अगर तुम माफ़ करदो और सब्र करो तो ये तुम्हारे लिए बहतरीन बात है. (सूरेह नहल 126)
ऐन जंग के दौरान भी कुरआन कहता है – जो तुमसे लड़ते हैं अल्लाह की राह में उनसे लड़ो लेकिन किसी पर ज़्यादती मत करना क्यों कि ज़्यादती करने वालों को अल्लाह बिलकुल पसंद नहीं करता. (सूरेह बक्राह 190)

लेखन :मुशर्रफ़ अहमद

Leave a Reply