ईश्वर बड़ा या स्पेस ? अगर ईश्वर का वजूद है तो स्पेस के अंदर ही होगा । अगर ईश्वर बड़ा है तो ईश्वर कहाँ मौजूद हैं ?

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प्रश्न से ऐसा प्रतीत होता है जैसे ईश्वर और स्पेस का बहुत कम आंकलन(Judge),किया गया है,(Underestimate किया गया है), जहाँ तक स्पेस(यूनिवर्स) की बात है यह अनंत है जिसका मानव को इल्म नहीं ..उसके बाद भी आधुनिक खगोल विज्ञान के अनुसार हमारा यूनिवर्स लगातार फ़ैल रहा है अर्थात Expend हो रहा है अगर फ़ैल रहा है तो किधर फ़ैल रहा है उसके बहार क्या है इसका भी जवाब हमारे आधुनिक विज्ञान के पास नहीं जिसका सृजनकर्ता ईश्वर है अगर हम उस सृजनकर्ता को उसके सृजन की तरह भोतिक(Physical) समझ रहे है तो भूल कर रहे है, कुरान की सूरह शूरा(42) आयत 11 मैं ईश्वर आपने बारे मैं कहता है “उसके मिसाल की भी कोई मिसाल नहीं है” यानी “”There is no likeness of His example””…यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि यहाँ यह नहीं कहा जा रहा कि “उसके जैसा कोई नहीं” बल्कि यह कहा जा रहा है “उस सर्व शक्तिमान का उदहारण देने का भी कोई उदहारण मोजूद नहीं” यानी अगर आप ईश्वर को किसी उदहारण से समझना या समझाना चाह रहे है तो उसके example का भी कोई example नहीं दिया जा सकता तो आप यहाँ यह त्रुटी कर रहे है कि ईश्वर कोई भोतिक चीज़ मान रहे है अर्थात उसकी कोई physical state है जैसे कोई पत्थर/कुर्सी/पेड़ है, जो जगह(स्पेस) लेगा, बिल्डिंग है तो कोई जगह लेगा, एयरोप्लेन है तो जगह लेगा ..etc.


अगर आप ईश्वर को भी उस ही Defination (उदहारण) मैं रख रहे है तो गलती कर रहे है यानी जब कहा गया कि उसका उदहारण का भी कोई उदहारण नहीं तो इसका मतलब मानव की जो Comprehension (सोचने की ताक़त) है वह उससे भी beyond (परे), की चीज़ है, Time aur space भी उस पर apply नहीं होता यानी जब कुछ नहीं था न Space न Time तब भी उसका वजूद था इसलिए यह पूछना के वह कहाँ है तर्कसंगत नहीं… सीधे शब्दों मैं कहे तो उदहारण/space/Time सब सृजन(Creation) पर apply होंगे सृजनकर्ता(ईश्वर) पर नहीं …
इस ही तरह भारतीय परंपराओं व धार्मिक ग्रंथों मैं भी ईश्वर का परिचय/परिभाषा कुछ इस तरह मिलता है “वह न दो हैं, न ही तीन, न ही चार, न ही पाँच, न ही छः, न ही सात, न ही आठ, न ही नौ , और न ही दस हैं ।
इसके विपरीत वह सिर्फ और सिर्फ एक ही है । उसके सिवाय और कोई ईश्वर नहीं है (अथर्ववेद) यानी उसके जैसा कोई दूसरा नहीं तो उसको किसी चीज़ से compare नहीं क्या जा सकता..
ऐसे ही “‘न तस्य प्रतिमा अस्ति” (यजुर्वेद 32:3) यानी उसकी कोई प्रतिमा और आकार नहीं और आकार/प्रतिमा भौतिक चीज़ों पर लागु होती है यानी जो created चीज़ें है ईश्वर पर नहीं क्यूंकि ईश्वर created नहीं |
सारांश यह है कि हम ईश्वर की हकीक़त जान ही नहीं सकते उसको केवल गुणों/Attribute के आधार पर समझा जा सकता है

लेखन : फ़ारूक़ खान

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