अजान माइक में ही पढ़ी जाये ये जरूरी है क्या इस्लाम के हिसाब से ?
सबसे पहले तो जान लीजये कि इस्लाम या मुसलमानों में गैर मुसलमानों पर इस्लाम का प्रभुत्व स्थापित करने की कोई रणनीति ना कभी थी और ना है और ना कभी…
सबसे पहले तो जान लीजये कि इस्लाम या मुसलमानों में गैर मुसलमानों पर इस्लाम का प्रभुत्व स्थापित करने की कोई रणनीति ना कभी थी और ना है और ना कभी…
धर्म तो सब ही शांति प्रिय होते हैं, वो कौनसा धर्म है जो शांति नहीं चाहता या शांति का सन्देश नहीं देता ? अगर कोई धर्म हिंसा और अशांति की…
जन्म से कुछ खराबी होना ठीक ऐसे ही बीमारियों की वजह से होता है जैसे जन्म के बाद किसी बिमारी से किसी का कोई अंग ख़राब हो जाए.सही दवा, रहन…
जी नहीं, हमें ऐसे ही किसी को भी काफ़िर कहने का हक नहीं है हम सिर्फ उसको कह सकते हैं जिसे कुरआन या अल्लाह के रसूल सल्ल० ने काफ़िर कहा…
इस्लाम ने "एक रिश्ता ए निकाह" में तीन बार तलाक़ का प्रावधान रखा है। अगर कोई मर्द ये तीनों हक़ (अलग अलग मौकों पर) इस्तेमाल कर लेता है तो फिर…
फिर बात ये भी है कि ईश्वर ने शिर्क की गुंजाईश (संभावना) ना तो इंसानी फितरत (प्रकृति) में रखी है।- इसका मतलब है हर कोई अपने अंतर्मन में ये गवाही…
शायरी करना या सुनना, संगीत सुनना या बजाना, डांस करना या देखना, एक्टिंग करना या देखना, ग़ज़ल गाना या सुनना, विडियो गेम खेलना या देखना या कोई और खेल खेलना…
बारिश थी कि थमने का नाम नहीं ले रही थी . अनवर अपने टीन की छत वाले मकान में दुबका बैठा था. उसकी गोद में छह माह का बच्चा और…
असल में हम मुसलमान समझते हैं कि हम सिर्फ कर्म की आज़माइश (परीक्षा) में हैं यानि हम को शुरू से हिदायत मिली हुई है हमारा काम सिर्फ कर्म है (ईमान…
जी नहीं ऐसी कोई बात नहीं है. कुरआन में औरत और मर्द की गवाही बराबर है देखये सूरेह नूर आयत 8. वो मामला जिसके बारे में ये समझा जाता है…