हलाला क्या है?

  • Post author:
  • Post category:Uncategorized
  • Post comments:0 Comments

इस्लाम ने “एक रिश्ता ए निकाह” में तीन बार तलाक़ का प्रावधान रखा है। अगर कोई मर्द ये तीनों हक़ (अलग अलग मौकों पर) इस्तेमाल कर लेता है तो फिर ये रिश्ता हमेशा के लिए खत्म हो जाता है और ये मर्द और औरत दोबारा कभी भी निकाह नहीं कर सकते (सिवाय एक परिस्थिति के जो हम आगे बयान करेंगे)।अब मर्द भी आज़ाद है और औरत भी आज़ाद है। ये दोनों जिससे भी निकाह करना चाहे कर सकते हैं या चाहे तो किसी से निकाह नहीं करें।


अब कल्पना कीजिये कि औरत ने अपनी आज़ादाना मर्ज़ी से किसी दूसरे शख़्स से निकाह किया और इत्तेफाक से उनके बीच मे भी निभा नहीं हो सका और उनका भी “एक तलाक़” हो गया या फिर शौहर की मृत्यु हो जाती है तो इस परिस्थिति में ये औरत फिर से तलाक़शुदा या बेवा कहलाएगी और ये बिलकुल आज़ाद हैं चाहे तो वो निकाह न करें या फिर जिससे चाहे निकाह कर ले यहाँ तक कि वो अपने पहले शौहर से भी निकाह कर सकती है। औरत को अपने पहले शौहर से दोबारा निकाह करने की ये इजाज़त केवल इस इत्तेफाक से हुई परिस्थिति में हैं। इस कानून को “कानून ए हलाला” कहते हैं। ज़ाहिर है कि ऐसी परिस्थिति गिने-चुने लोगों के साथ ही हो पाती है। अँग्रेजी में इसे “rarest of rare case” कहते हैं।


अब ज़रा समझते हैं कि “हलाला” के नाम पर जो गलत और शर्मनाक हरकत कुछ तथाकथित “विद्वानों” के द्वारा की जाती है उसकी वास्तविकता क्या है। हमारे समाज में कई लोग तीन मर्तबा तलाक़ होने के बाद जहालत की हर हद पार करके कानून ए हलाला जो कि “इत्तेफाक” से होने वाली परिस्थिति पर आधारित हैं उसे जानबूझकर एक “अनुबंध विवाह” (यानि contract marriage) में तब्दील कर देते हैं जिसकी तफसील आप लोग जानते है। और जिस औरत से वो (पहला शख़्स) दोबारा निकाह के लिए पात्र नहीं था उसके लिए पात्रता हासिल करने के लिए वो औरत को किसी दूसरे शख़्स से कांट्रैक्ट विवाह करने पर मजबूर करता हैं और फिर दोनों का उसी कांट्रैक्ट (अनुबंध) के अनुसार तलाक़ भी करवाता हैं ताकि वो फिर से उससे शादी कर सके। ये कुरआन के कानून के साथ खिलवाड़ है।


ऐसी हरकत करने वालों के बारे में रसूलअल्लाह (स) ने फरमाया:
“क्या में तुम्हें एक किराये के बकरे के बारे में न बताऊँ? लोगों ने कहाँ: ए अल्लाह के रसूल फरमाएँ। तो आप (स) ने फरमाया: “वो हलाला करने वाला है,अल्लाह तआला की लानत हो हलाला करने और करवाने वाले पर”।
हवाला: सुनन इब्न माजह , हदीस नंबर 1936, हसन हदीस
https://sunnah.com/urn/1262550
एक दूसरी हदीस में आता है कि इब्न अब्बास (स) ने फरमाया कि अल्लाह के रसूल ने “हलाला करने” और “करवाने” वालों पर लानत फरमाई है।
हवाला: सुनन इब्न माजह हदीस नंबर 1934, सहीह हदीस
https://sunnah.com/urn/1262530
इन अहदीस में हलाला से तात्पर्य “contract marriage” से हैं।
अल्लाह ताला से दुआ हैं कि हमें दीन की सही समझ अता फरमाए और जहां पर भी “हलाला” के नाम पर इस शर्मनाक प्रथा पर अमल किया जा रहा है उससे हमारी समाज कि औरतों को महफ़ूज रखें। आमीन

लेखन : मुशर्रफ़ अहमद

Leave a Reply