इस्लामी जगत में कुछ चीज़े ऐसी हैं जिन के बारे में स्वंम मुसलमानों द्वारा इतना ज़्यादा नकारात्मक उल्लेख/प्रचार कर दिया गया है जिससे उऩके बारे में ख़ुद मुसलमानों की सोच पूरी तरह नकारात्मक बन गई है… जबकि तार्किक व प्रामाणिक द्रष्टी से देेखा जाये तो इस्लाम उन चीज़ों के लिये उतना नकारात्मक नज़रिया नहीं रखता जितना लोगों नें स्वंय व्यक्तिगत सोच अनुरूप नकारात्मक नज़रिया बना लिया है.. यही बात सूअर के लिये है ….
इस्लाम एक जानवर की हैसियत से सूअर से नफरत करना नहीं सिखाता…. इस्लाम में जो भी पशुओं से संबंधित अधिकार (जानवरों के प्रति व्यवहार) दूसरे पशुओं को प्राप्त है वही सूअर को भी प्राप्त हैं… इस्लाम को केवल सूअर के मांस के सेवन से आपत्ति है जिसके मांस का सेवन पूरी तरह प्रतिबंधित है.(जिसके वैज्ञानिक कारण भी हैं)…सिवाय उसके उसको एक जानवर के रूप में घ्राणा करना ….इस्लामी शिक्षा नहीं….
(फ़ारूक़ खान)