बचपन से ही सूनते सूनते बड़े हुए है कि जन्नत मे पुरुषों को क्या क्या सुविधाए ( 72 हूर ) मिलेंगी..? लेकिन स्त्री को जन्नत मे क्या मिलेगा..? इस बारे मे कभी नहीं सूना..? तो क्या स्त्री सुविधाओं का जिक्र किसी किताब मे है..? अध्याय / आयत बताए..

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सबसे पहले तो यह बुनयादी बात जान लीजये कि जन्नत दूसरी दुनियां का नाम है, जो यहाँ की दुनियां से बहुत ज़्यादा अलग होगी वहां का जीवन वहां का रहन सहन सब कुछ यहाँ से अलग होगा. कुरआन से मालूम होता है कि जन्नत या जहन्नम के बारे में हमें जो कुछ कुरआन या हदीसों में बताया गया है वो हकीक़त नहीं बल्कि सिर्फ मिसालें हैं.
देखिये हम इंसान हैं हमारी सोचने समझने देखने सुनने वगैरह की कुछ हदें है, हमारे पास शब्द भी सीमित होते हैं. मिसाल के तौर पर किसी ने अगर कभी आम नहीं खाया तो आप उसे कभी समझा नहीं पाएंगे कि हकीक़त में आम का स्वाद कैसा होता है, आप सिर्फ आम से मिलती जुलती मीठी चीज़ों की मिसाल दे कर कुछ समझाने की कोशिश कर सकते हैं, क्यों कि आम के असल स्वाद को बताने के लिए हमारे पास शब्द ही नहीं हैं.
ऐसे ही हमारी मजबूरी है कि हम ऐसी किसी नई चीज़ की सही कल्पना नहीं कर सकते हैं जो हमने पहले कभी देखी ना हो, इस लिए कुरआन-हदीसों में जन्नत जहन्नम को समझाने के लिए हमारी ही दुनियां की मिसालें दे कर हमें समझाया गया है कि सुख, शांति, आराम, सम्मान, स्वाद और आनन्द की जो भी कल्पना हम कर सकते हैं जन्नत में उससे ज़्यादा है, और दुःख, दर्द, अशांति, थकन और अपमान की जो भी कल्पना हम कर सकते हैं जहन्नम में उससे ज़्यादा है.
यह बुनयादी बात ध्यान में रखते हुए अब आप के सवाल की तरफ आते हैं.
सबसे पहली बात तो यह है कि 72 हूरों का ऐसा कोई कांसेप्ट इस्लाम में नहीं है जैसा आम तौर पर समझा जाता है या इस्लाम दुश्मनों की तरफ से समझाया जाता है कि वो कोई सेक्स गर्ल हैं या जन्नत में बस हूरे ही हैं और उनके मुजरे ही होते रहेंगे.
हूरों की बात करते हुए लोग जाने क्यों यह हकीक़त भूल जाते हैं कि जन्नत पाकीज़ा लोगों के रहने की पाकीज़ा जगह है, वहां ना किसी नापाक काम के लिए कोई जगह है और ना नापाक सोच के लोग वहां जा सकते हैं. कुरआन में अल्लाह तआला ने फ़रमाया है कि कोई मर्द हो या औरत जो कोई भी अल्लाह पर यकीन के साथ नेक काम करेगा तो हम उसे पाकीज़ा जिन्दगी बसर कराएँगें. (सूरेह नहल 97)
जन्नत की बे शुमार नेमतों का ज़िक्र कुरआन और हदीस में मौजूद है उन्ही में एक नेमत यह भी है कि वहां नेक पाकीज़ा और बेहद खूबसूरत बीवियां होंगी इसी तरह शोहर होंगे. इससे तो इनकार नहीं किया जा सकता कि नेक और पाकीज़ा बीवी जो खूबसूरत भी हो बहुत बड़ी नेमत होती है. इस लिए हूर कोई अलग चीज़ नहीं है बल्कि यह इंसान ही होंगी, दुनियां के मर्द और औरतों को भी वहां बहुत खूबसूरत जिस्म दिए जाएंगे जिससे वे भी हूरें ही बन जाएंगी यानि खूब सूरत आँखों वाली. जन्नत में इन दोनों की शादियाँ की जाएंगी, कई आयातों में नेक मर्द और नेक औरत दोनों से फरमाया गया है कि जन्नत में तुम्हारे पाकीज़ा ”अज़्वाज” यानि जोड़े होंगे. मिसाल के लिए देखए सूरेह बक्राह 25, सूरेह आले इमरान 15, सूरेह निसा 57.
दूसरी बात यह है कि हूर अरबी भाषा में खूबसूरत आखों वाली औरत को कहते हैं यह इंसान ही हैं और यह जन्नत में बीवियां ही होंगी. और औरतें जो जन्नत में होंगी उनकी सेवा करने के लिए और उनके ऑर्डर पूरे करने के लिए जो नौकरानियां उन्हें मिलेंगी वो भी हूरें ही होंगी. 72 की तादाद भी ज़रूरी नहीं इससे बहुत ज्यादा भी हो सकती हैं, और सिर्फ हूरें ही नहीं स्मार्ट और जवान लड़के जिनको ‘गुलामान’ कहा जाता है वो भी बहुत बड़ी तादाद में मिलेंगे, दुनिया में भी जितना बड़ा आदमी होता है उसके उतने ही ज्यादा सेवक होते हैं तो जन्नती से अमीर कौन हो सकता है.

एक सवाल यहाँ यह किया जा सकता है कि क्या वहां एक मर्द की एक से ज़्यादा बीवियां होंगी ? तो ऐसा बिलकुल मुमकिन है कि एक मर्द की एक से ज़्यादा बीवियां हों और उनकी कोई ज़रूरत हो उनका कोई काम वहां हो. जैसा कि मैंने पहले ही कहा कि वह एक अनदेखी दुनियां है जिसका सही अंदाज़ा लगाना अभी मुमकिन नहीं.
यहाँ एक सवाल पैदा हो सकता है कि क्या औरतों के भी एक से ज़्यादा शोहर होंगे ? तो इस बारे में कुरआन और हदीस से हमें हाँ या ना का कोई संकेत नहीं मिलता, वैसे भी दुनियां में भी फितरतन एक से ज़्यादा शोहर की बात किसी औरत की शान के खिलाफ है, शायद इसी लिए कुरआन- हदीस में इसका ज़िक्र नहीं किया गया है और शायद इसी लिए यह सवाल हम से भी कभी किसी औरत ने नहीं किया, और हम जानते हैं कि पहले ज़माने में राजे महाराजे वज़ीर वगैरह आम तौर पर एक से ज़्यादा बीवियां रखते थे लेकिन औरतों ने कभी एक से ज़्यादा शोहर नहीं रखे.
जन्नत के हवाले से इसमें एक अहम् पहलु यह है कि नेक औरतें जो जन्नत में जाएगी वो खुद अपनी जन्नत की मालिक होगी दुनियां की तरह वो शोहर पर डिपेंडेंट नहीं होंगी, इसलिए अगर वहां की दुनियां में उनकी पाकीज़गी (पवित्रता) के खिलाफ ना हुआ तो मुमकिन है वो भी एक से ज़्यादा शोहर रखलें. वैसे भी वहां किस को क्या मिलेगा और क्या नहीं इन सवालों का जवाब अल्लाह ने खुद बहुत खूबसूरत अंदाज़ में एक ही लाइन में दे दिया है, सूरेह फुसिलत आयत 31 में अल्लाह नेक लोगों (मर्द और औरत दोनों)से फरमाता है कि – हम दुनियां की ज़िन्दगी में भी तुम्हारे दोस्त थे और आखिरत में भी तुम्हारे दोस्त रहेंगे, वहां तुम्हारा जो जी चाहेगा तुम्हे मिलेगा और जो मांगोगे वो तुम्हे दिया जाएगा.
अब इस आयत के बाद यह कोई मसला ही नहीं रहता कि औरतों को वहां क्या मिलेगा और मर्दों को क्या मिलेगा.

लेखन : मुशर्रफ़ अहमद

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