अरबी भाषा में हर बुलंदी को ही ”समाउन” यानि असमान कहा जाता है. कुरआन से मालूम होता है कि बादल से लेकर सितारे वगैरह जो हम देखते हैं और जो हम नहीं देख सकते वो हम से बहुत दूर हैं, ये सब पहले आसमान में हैं (सूरेह साफ्फात आयत 6, सूरेह फुस्सिल्त आयत 12)लेकिन कुरआन कहता है कि अल्लाह की कायनात यहाँ ख़त्म नहीं हो जाती बल्कि इसके ऊपर भी 6 दर्जे और हैं वो इससे भी कहीं आगे तक है जो हमारी जानकारी में अभी तक नहीं आ सकें हैं. उनका क्या निज़ाम है वो कहाँ तक हैं उसका हमें कोई अंदाज़ा नहीं है. अभी तक हमें पहले ही आसमान की बहुत कम जानकारी है और वो इतनी कम है कि ना के बराबर है.अरबी कायदे के मुताबिक सात का मतलब भी हमेशा सिर्फ 7 नहीं होता बल्कि कई बार अरबी में 7 को किसी चीज़ की तादाद ज़्यादा बताने के लिए भी इस्तिमाल किया जाता है. वल्लाहु आलम
(मुशर्रफ़ अहमद )