यहूदी और ईसाई ईद-उल-अजहा क्यो नहीं मनाते ? जब कि अब्राहम से ही इन तीनो धर्म का उदय हुआ है !

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कुरान मैं ज़िक्र क़ुर्बानी का वाक़िअ, तौरात (Old Testament/Hebrew Bible) मैं ज़िक्र वाक़िए से बिल्कुल भिन्न है , तौरात के अनुसार क़ुर्बानी का वाक़िअ हज़रात इस्हाक़ as के साथ पेश आया था ना कि इस्माइल as के साथ.. और उसके अनुसार यह वाक़िअ अरब में सैकड़ों किलोमीटर दूर यरूशलेम में माउंट मोरिया के पहाड़ो पर घटित हुआ था (ना कि मक्का मैं)।
यहूदी और ईसाई अक्सर इस क़ुरबानी के क़िस्से को इसहाक as के माध्यम से अब्राहम as के वंशजों पर तौरात मैं वर्णित क़ुर्बानी की कथा में दिए गए आशीर्वाद को हथियाने के राजनीतिक प्रयास के रूप में देखते हैं। यानि उनका यह मानना है कि अल्लाह का ख़ास करम (आशीर्वाद), इस्हाक़ as के माध्यम से इब्राहिम as के वंशजों(यहूदी और ईसाई) पर हुआ ना कि इस्माइल as के माध्यम से इब्राहिम as के वंशजों(मुसलमानो) के पर।
इन ही बुनियादी तथ्यों के विवाद में होने के कारण यहूदी, ईसाई और मुस्लिम व्याख्याओं मैं बहुत अंतर मिलता है , इस ही वजह से यहूदी और ईसाई ईद अल अज़हा नहीं मानते ।

लेखन : फ़ारूक़ खान

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