सारे मुस्लिम आतंकवादी नहीं लेकिन सारे आतंकवादी मुस्लिम ही क्यूँ ????

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….इसका सीधा सा उत्तर यह है कि हमारा नजरिया।।।
हम क्या देखना चाहते हैं और क्या समझना चाहते हैं और हमें क्या
दिखाया जा रहा है…क्या जो हमें दिखाया जा रहा है वह 100% सही है??
मानव इतिहास ख़ून खराबे रक्तपात, विद्वेष, अराजकता से भरा पड़ा है जो
आज भी जारी है विभिन्न धर्मों/नस्लों/देशों/समूहों द्वारा इसके बहुत
सारे उधाहरण हैं अगर लिखूंगा तो पोस्ट बहुत लंबी हो जायेगी…..
लेकिन वही सवाल फिर आतंकवाद सिर्फ इस्लाम धर्म के अनुयाइयों के साथ ही ख़ास क्यों????
यह सच है कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता चाहे वह किसी भी धर्म/समुदाया से जोड़ा जाये फिर भी….


इस व्याख्या के बाद एक बहुत बड़ा प्रश्न है जो अपना उत्तर चाहता है। यह वर्तमान वैश्वीय राजनीतिक परिदृश्य (Global political scenario) में, और विशेषतः कुछ शक्तिशाली पाश्चात्य शक्तियों (Western political players) के ख़तरनाक ‘न्यू वल्र्ड ऑर्डर’ की उन नीतियों के परिप्रेक्ष्य में बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है जिनके तहत वे शक्तियां मुस्लिम जगत के कई देशों में बदअमनी, झगड़े-मारकाट, फ़ितना-फ़साद, रक्तपात, विद्वेष, अराजकता और गृह-युद्ध (Civil war) फैलाकर वहां अपना राजनीतिक, सामरिक, वित्तीय व आर्थिक प्रभुत्व और नव-सामराज्य (Neo-imperialism) स्थापित करना तथा उन देशों के प्राकृतिक संसाधनों को लूटना, लूटते रहना चाहती हैं। यह न कहियेगा कि पाश्चात्य शक्तियां बहुत दयालुं हैं और वह किसी पर ज़ुल्म करनें की सोच भी नहीं सकतीं ….

अब इसकी प्रतिक्रिया में जो घटित होता है उसको सीधे मुसलमानों से जोड़ दिया जाता है और विश्व के सामनें ऐसा परिवेश बनाया जाता है कि मुसलमान ही इस फसाद की जड़ हैं और उनको सीधे आतंकवादी घोषित कर दिया जाता है… यह सच है कि कुछ गुमराह मुसलमान ऐसी परिस्तिथी का फायदा उठाकर आपना उल्लु सीधा करते हैं और दोष पूरी क़ौंम पर आता है..यह कहावत यूं ही नहीं कह दी गयी ”एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है””….यहां एक प्रश्न यह भी उठता है कि क्या किसी ने ख़ुद वहां जाकर देखा कि हक़ीकत में वहां क्या हो रहा है या हमें जो दिखाया गया बस उसी को सच की पराकाष्ठा समझ कर यथार्त समझ लिया??? प्रमाण प्रत्यक्ष का होता है जो ख़ुद देखा गया हो न कि किसी की बनाई झूटी कहानी जो सच बनाकर परोसी गयी हो… दूसरी तरफ़ आम लोग जो इस टकराव और हिंसा की वास्तविकता से अनजान हैं (और समाचार बनाने, कहानियां गढ़ने, झूठ जनने और इस सारे महा-असत्य को फैलाने का सूचना-
तंत्र-Media Machinery-उन्हीं शक्तियों के अधीन होने के कारण) उनके मन-मस्तिष्क में सहज रूप से यह प्रश्न उठता है कि फिर इराक़, सीरिया, ईरान, सऊदी अरब, बहरैन, यमन, पाकिस्तान आदि मुस्लिम देशों में आतंकवाद क्यूं???

इसका उत्तर यह है कि वास्तव में यह सब उन्हीं बाहरी शक्तियों की विघटनकारी ख़ुफ़िया एजेंसियों के करतूत हैं जो मुस्लिम- देशों पर अपने प्रभुत्व, शोषण और लूट का महाएजेंडा (Grand agenda) रखती हैं। पूरा सूचना-तंत्र (Media) या तो उन्हीं का है या उनसे अत्यधिक प्रभावित या परोक्ष रूप से उनके अधीन है, अतः विश्व की आम जनता को न तो हक़ीक़त का पता चल पाता है न उन शक्तियों के करतूतों और अस्ल एजेंडे का। और जो वह दिखाते हैं वही सच मान लिया जाता है और इस बात पर दूसरे धर्म के बुद्धीजीवियों का भी एक ही मत है…

लिहाज़ यह कहना कि हर आतंकवादी ही मुसलमान क्यों सिर्फ एक छलावा है जो लोंगों के मन मस्तिष्क में पूरी तरह बैठा दिया गया है क्योंकि एक धर्म ही ऐसी चीज़ है जिसके बल पर आप जिसे चाहें अपने आडंबर में ले सकते हैं….स्वयं विचार कीजिये किसी दूसरे धर्म का अनुयायी कोई अनैतिक या मानवता के विरुद्ध कोई अपराध करे तो उसको ”’उग्रवादी”’ कहा जाता\ है और वही अनैतिक /मानवता के विरूद्ध कार्य कोई मुस्लिम करे तो उसको ”निस्वार्थ” भाव से आतंवादी घोषित कर दिया जाता है…क्यूं.???क्या मुसलमान द्वारा किया गया अपराध किसी Special/ख़ास Category श्रेणी में आता है..क्या वह दूसरे ग्रह का प्राणी है या दूसरे ग्रह से आया है…यह
Double standard मुसलमान के साथ ही क्यों …ज़ाहिर सी बात है एक ख़ास रणनीति के तहत
सूचना-तंत्र (Media) द्वारा रचा गया एक महा एजेंडा जिसका अंत होंना मुश्किल सा लगता है…
उपर दिये गये सारे प्रश्न अपना उत्तर चाहते है लेकिन लगता नहीं उनका किसी के पास उत्तर हो…….??

लेखन : फ़ारूक़ खान

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