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उत्तर………….
एक ऐसा प्रश्न जिसको लेकर अक्सर मुस्लिम व ग़ैर मुस्लिम भाई पूर्वाग्रह व असमंजस की स्थिती में रहते हैं …
वैसे यह प्रश्न सबसे ज़्यादा इस्लाम के दुश्मनों व ईर्षा करनें वालों के लिये सबसे ज्यादा उपहास उड़ानें व पूर्वाग्रह का विषय रहा है जिससे वह(बिना सत्य जाने) इस्लाम व नबी सल्ल पर आरोप लगा सकें….
आइये इसकी समीक्षा करते हैं…..
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मुहम्मद सल्ल. के वैवाहिक जीवन पर एक नज़र डालने से कुछ बातें उभर कर सामने आती हैं
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पहली बातः आप सल्ल. 25 वर्ष की अवधि ऐसे समाज में बिताते हैं जो हर प्रकार की बुराइयों से लतपत था परन्तु आप ऐसी अंधकार में बिल्कुल पवित्र और पाकदामन देखाई देते हैं।
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दूसरी बातः 25 वर्ष की उम्र में एक महिला हज़रत ख़दीजा रज़ियल्लाहु अन्हा से विवाह किया, जो उम्र में आप से 15 वर्ष बड़ी थीं, उस से पहले दो पुरुषों की पत्नी रह चुकी थीं।
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तीसरी बातः पचास वर्ष तक (अर्थात् पूरे 55 वर्ष) इसी एक पत्नी पर गुज़ारा करते हैं, किसी अन्य महिला से विवाह की इच्छा तक व्यक्त नहीं की।.
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चौथी बातः हज़रत ख़दीजा रज़ियल्लाहु अन्हा की मृत्यु के बाद ‘अपनी उम्र के पचासवें वर्ष जिस महिला (हज़रत सौदा रज़ि.) से विवाह किया वह उनकी हम-उमर और विधवा थीं.शेष 9 पत्नियों से निकाह 53 वर्ष की उम्र से 60 वर्ष की उम्र के बीच हुआ।
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यह सारी महिलाएँ (सिवाए हज़रत आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा के) दो या तीन पतियों की पत्नियाँ रह चुकी थीं।अपनी उम्र के अंतिम तीन वर्षों में जबकि अरब के बड़े भाग पर आपकी सत्ता स्थापित हो चुकी थी आपने कोई शादी नहीं की।.
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उपरोक्त विवरण इस संदेह की जड़ काट देती है कि आपके बहुविवाह का उद्देश्य भोग विलास था। क्या यह आरोप उस व्यक्ति पर लगाया जा सकता है जो अपनी जवानी के दिन केवल एक महिला की संगत में बिताए और वह भी ऐसी जो उम्र में उस से 15वर्ष बड़ी हो और इस से पहले दो पतियों की पत्नी रह चुकी हो ?
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इस मुद्दे पर दो पहलुओं से विचार करने की आवश्यकता है:
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एक यह कि यदि आप पर यौन इच्छा हावी थी तो उसकी पूर्ति का अवसर वह था जब नबी बनने के पांचवें छठे वर्ष उनके विरोधी निमंत्रण को रोकने में पूरा ज़ोर लगा रहे थे और आपके सामने पेशकश कर रहे थे कि अगर तुम्हारे इस निमंत्रण का कोई सांसारिक उद्देश्य हो तो हम तुम्हें अपना सरदार बना लेते हैं, तुम्हारे कदमों में धन दौलत के ढेर लगा देते हैं और अरब की सबसे सुन्दर महिला से विवाह कर देते हैं लेकिन आपने उनकी इस पेशकश को बिल्कुल ठुकरा दिया ( तफ्सीर इब्ने जरीर 30187)
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उस समय आपकी शादी में पचपन वर्ष की एक बूढ़ी महिला (हज़रत ख़दीजा रज़ियल्लाहु अन्हा) थीं.
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दूसरी बात यह कि जब आपने अपने संदेश की घोषणा की तो शत्रुओं तथा विरोधियों ने आप पर तरह तरह के आरोप लगाए, कवि कहा, पागल और जादूगर कहा, और अन्य आरोप लगाए, लेकिन आपके कट्टर से कट्टर दुश्मन ने भी आप पर यौन उत्तेजना का आरोप न लगाया. अगर उन्होंने इस सम्बन्ध में मुहम्मद सल्ल. के अंदर कुछ भी देखा होता तो उनके खिलाफ दुष्प्रचार का इस से बेहतर माध्यम कोई और नहीं हो सकता था

अगर नबी सल्ल के जीवन पक नज़र डालें तो पायेंगे कि आपकी ज़्यादातर बीवियां या तो विधवा थी जिनकी पहले कई बार शादियां हो चुकी थीं….
अब बात तर्क संगत भी नहीं लगती कि कोई अपना पूरा जीवन निकाल दे व अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में भोग विलास की इच्छा रखे…इसलिये यह तर्क भी ख़त्म हो जाता है(जैसा इस्लाम के दुश्मन आरोप लगाते हैं) कि नबी सल्ल नें अपनी विलासिता(ऩऊज़ूबिल्लाह) के लिये 11 शादियाँ की….
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नबी सल्स की 11 शादियों के पीछे हिक्मत(wisdom) यह थी….
जो निम्नलिखित है….
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1) Strengthening the ties between him and some tribes, in the hope that this would make Islam stronger and help to spread it, because ties of marriage increase the bonds of friendship, love and brotherhood.
(शादियों के माघ्यम से आपकी व दूसके क़बीलों(जो लड़ते रहते थे) के बीच संबंध स्थापित हों जिससे इस्लाम को मज़बूती मिले व उसका प्रचार हो(क्योंकि इस्लाम इस दौर में अपने आरम्भिक काल में था) व क़बीलों के बीच दोस्ती/ भाईचारा क़ायम(establish). हो)…..
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2) Taking care of some widows and compensating them with something better than what they had lost, because this would bring peace of mind and consolation at times of calamity. It also set a precedent for the ummah of how to show kindness to those whose husbands were killed in battle and so on.
(विधवाओं को वह सहारा मिले जिससे उनकी सामाजिक स्थिती बहतर हो और अपने विधवा होंनें के पश्चात जो सामाजिक स्तर खो दिया उसको पा सकें ..इसके साथ आनें वाली पीढ़ियों को यह संदेश दिया जा सके कि उन विधवा औरतों के साथ कैसा व्यवहार किया जाये जिनके पति मृत्यू को प्राप्त हो चुके हों)….
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3) Increasing the number of female teachers who would convey to the ummah what they had learned from the Messenger of Allah (blessings and peace of Allah be upon him) and what they knew of his private life.
(उन औरतों के लिये जो अपनी व्यक्तिगत जीवन की बातों को सीधे नबी सल्ल से नहीं पूछ सकती थी वह नबी सल्ल की इन बीवियों के पास जाकर मालूम कर लें)….
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पैगम्बर ए इस्लाम pbuh की बीवियाँ…..

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1) हज़रत ख़दीजा र.अ / पुत्री.. ख़ालिद कुरैशी / ख़ानदान..असद कुरैश /बेवा/विधवा / आयु..40 वर्ष / विवाह.. 595 AD / विवाह के समयनबी pbuh की आयु..25 वर्ष…
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2) हज़रत सौदा र.अ / पुत्री..ज़मा / ख़ानदान..अमीर कुरैश / बेवा/विधवा /आयु..50 वर्ष / विवाह…620 AD / विवाह के समय नबी pbuh की आयु….नबुवत का दसवां साल…
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3) हज़रत आयशा र.अ / पुत्री..हज़रत अबु बक्ऱ र.अ / ख़ानदान..तायम कुरैशी/ अविवाहित / आयु..16-19(अनुमानित) वर्ष / विवाह..620 AD /
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4) हज़रत हफ़्सा र.अ / पुत्री..हज़रत उमर(फ़ारूक़) बिन ख़त्ताब र.अ /ख़ानदान..अदी क़ुरैश / बेवा/विधवा / आयु..21 वर्ष / विवाह..625 AD
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5) हज़रत ज़ैनब र.अ / पुत्री..ख़ुजैयमा Khuziama बिन हारिस क़सिया /खानदान..अमीर बानु Suhsah क़ुरैश / बेवा/ विधवा / आयु.. 50 वर्ष /विवाह..626 AD /
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6) हज़रत उम्मे सलमा र.अ / पुत्री..ख़ज़ीफ़ा अबि उमय्या अल-मुग़ीरा/ ख़ानदान..मुख़ज़ूम कुरैश / बेवा/ विधवा / आयु..29 वर्ष / विवाह..626 AD
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7) हज़रत जैनब र.अ / पुत्री..जाहश अल-असदिया / ख़ानदान असद क़ुरैश/ तलाक़शुदा / आयु..38 वर्ष / विवाह..626 AD /
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8) हज़रत ज़वेरिया Javeria र. अ / पुत्री..हारिस बिन अबी ज़रार / ख़ानदान मुस्तलक ख़ाज़िया / आज़ाद बांदी (freed slave) /बेवा/ विधवा /आयु..20 वर्ष / विवाह..627 AD/
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9) हज़रत ऱमला उम्मे हबीबा र.अ / पुत्री..हज़रत अबु सुफ़ियान र.अ / ख़ानदान..शम्स कुरैश / बेवा/ विधवा / आयु..36 वर्ष / विवाह..628 AD /
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10) हज़रत सफ़िया र.अ / पुत्री..हिया बिन अख़तब / ख़ानदान.. बनु नज़ीर (यहूदी) / आज़ाद बांदी (freed slave) / आयु.. 17 वर्ष / विवाह..628 AD
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11) हज़रत मैमूना र.अ / पुत्री..हारिस अमीरिया हिलालिया / ख़ानदान..अमीर साहष हिलाले क़ुरैश / बेवा/ विधवा / आयु..27 वर्ष / विवाह..629 AD /…

लेखन : फ़ारूक़ ख़ान