जी नहीं आप की जानकारी सही नहीं है.
नास्तिकता पाप तो हो सकती है लेकिन अपराध नहीं है, धर्म के मामले में अल्लाह ने इंसान को पूरी छूट दी हुई है. धर्म के मामले में जिसका जी चाहे सही राह पर चले जिसका जी चाहे गलत राह पर चले इसका अंजाम परलोक में सामने आयगा किसी इंसान को इसकी सज़ा देने का हक नहीं है.
पाप ये इसलिए हो सकता है क्यूंकि जान बूझ कर अपने रब को मानने और रब की मानने से इन्कार करना एक नैतिक बुराई है, यह लगभग ऐसे ही है जैसे कोई जान बूझ कर अपनी माँ को माँ मानने से इनकार करदे और माँ के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन न करे
जहाँ तक समलैंगिकता का सवाल है तो समलैंगिक प्रवृत्ति का व्यक्ति अगर किसी से अप्राकृतिक यौन संबंध बनाता है तो इस्लाम के दृष्टिकोण से यह पाप भी है और अपराध भी है, ये ऐसे ही अपराध है जैसे बिना शादी के किसी भी औरत से किसी मर्द का शारीरिक सम्बंध बनाना पाप भी है और अपराध भी.
और अगर कोई समलैंगिक प्रवृत्ति का व्यक्ति अपने ऊपर संयम रखे और अप्राकृतिक यौन संबंधों से खुद को रोके रखे तो इस्लाम की नज़र में यह बहुत बड़ा पुण्य का काम है.
लेखन : मुशर्रफ़ अहमद